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गीतों के दिनमान बने / रुचि चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
हम सरस्वती के साधक हैं,
अभिशाप सभी वरदान बने।
हम शब्द सारथी हैं उत्तोलक
गीतों के दिनमान बने॥
कटु भाव हृदय आये भी तो,
वे सभी सुभाषित हो जाते।
देना चाहे यदि शाप कोई,
तो खुद ही शापित हो जाते।
शब्दों के मन्दिर में रहते॥
नवछन्द नवल गुणगान बने॥
हम शब्द सारथी...॥
जो अक्षर की पूजा करता,
ईश्वर के साथ रहा करता।
संकट सारे कट जाते वह,
कष्टों से कभी नहीं डरता।।
असि का आशीष मिला हमको॥
मसि का भी नवसम्मान बने॥
हम शब्द सारथी...॥