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चान्द की ठण्डक, रात की रानी, मैं और तुम / नासिर परवेज़

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चान्द की ठण्डक, रात की रानी, मैं और तुम
इश्क़ फसाना, वस्ल कहानी, मैं और तुम

मुद्दत बाद मिले थे लेकिन चुप चुप थे
लब पे ख़मोशी, आँख में पानी, मैं और तुम

दोनों इक दूजे के प्रेम में पागल हैं
कृष्ण कन्हैय्या, राधा रानी, मैं और तुम

आओ जानां! आज नया दर खोलेंगे
अब न करेंगे बात पुरानी, मैं और तुम

सुध बुध खो कर इक दूजे को चूमते हैं
सुन्दर फूल पे भंवरा यानी मैं और तुम

नासिर मैंने अब के ख़्वाब ये देखा है
नदी कनारा, शाम सुहानी, मैं और तुम