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जलाओ चिराग-ए-मुहब्बत जहाँ में / आकिब जावेद
Kavita Kosh से
बहुत रोया है दिल दुखाने से पहले
जरा बात कर लो रुलाने से पहले।
मुहब्बत से रहते है सब इस वतन में
मकाँ देख लेना जलाने से पहले।
बहा दे लहूँ को वतन के लिए ही
जरा सोच लो तुम सताने से पहले।
रहा दूर घर से कमाने के खातिर
जरा सोच लेना लुटाने से पहले।
जलाओ चेराग़-ए-मुहब्बत जहाँ में
नई रौशनी लाओ जाने से पहले।