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जीना मरना संग तुम्हारे होता तो क्या होता / अनुपम कुमार

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जीना मरना संग तुम्हारे होता तो क्या होता
नदिया नाव तूफ़ान किनारे होता तो क्या होता

शादी-वादी झगडा-झंझट प्यार-मोहब्बत टंटा
ये सब तुम्हारा घर हमारे होता तो क्या होता

फूल-ख़ुशबू झालर-वालर चद्दर बिस्तर तकिया
साँझ सकारे अंक तुम्हारे होता तो क्या होता

नाश्ता-वास्ता भोजन-बासन खेल-कूद सिनेमा
ये सब तुम्हारा संग हमारे होता तो क्या होता

होली दीवाली दशहरा तीज करवा जितिया
मनाना ये त्यौहार सारे होता तो क्या होता

रोना-धोना छुछु-बिछौना पालना बॉटल भोटिया
रतजगा एक दूसरे के सहारे होता तो क्या होता

आस-विश्वास साँस-उच्छ्वास ‘अनुपम’ अहसास
मेरा तुम्हारा घर हमारे होता तो क्या होता