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जूटी ना, मन टूट गइल बा / सतीश्वर सहाय वर्मा ‘सतीश’

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जूटी ना, मन टूट गइल बा!
समय लुटेरा, लूट गइल बा!!
केहू नइखे, अपना बस में-
नाता-रिस्ता छूट गइल बा!!
सभ घर देखीं एके लेखा;
प्रेम-गगरिया फूट गइल बा!!
देहिया घन पर चलत हथउड़ा;
रेसा-रेसा कूट गइल बा!!
मरदाही जीए में बाटे;
हिम्मत धोती खूँट गइल बा!!