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टाबर / श्याम महर्षि
Kavita Kosh से
टाबरां रो
हुवै है
न्यारो निरवाळो संसार
मेह सूं भिजैड़ी
माटी सूं बणावै
टाबर रमतिया
पींडिया, गोगामेड़ी
अर घर-कुण्डिया,
टाबर बणावै
आपरो नूंवों संसार
माटी रा चुल्हा-चाकी
अर बरतना सूं
कारज करणै री
रीत पाळै
पोमीजै,
टाबर
आपरी मां दांई
धोवणा चावै कपड़ा
काड़णी चावै झाडू
अर दादी जियां
करणौ चावै लाड
आपसूं छोटा रो।