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तुम जुबां पर हर घड़ी नामे ख़ुदा रक्खा करो / अजय अज्ञात

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तुम जुबां पर हर घड़ी नामे ख़ुदा रक्खा करो
हर किसी के वास्ते लब पर दुआ रक्खा करो

मत जरूरत से अधिक तुम वास्ता रक्खा करो
अज्नबी से दो कदम का फासला रक्खा करो

बेवजह बैठे बिठाए दुश्मनी मत मोल लो
हर किसी के सामने मत आइना रक्खा करो

मुश्किलों से पार पाने का यही है रास्ता
मुश्किलों के दौर में तुम हौसला रक्खा करो

कह रहा ‘अज्ञात' रूहे रौशनी के वास्ते
दिल का दरवाजा ज़रा सा तुम खुला रक्खा करो