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तो आँखों से अश्कों की बरसात होगी / शीन काफ़ निज़ाम

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तो आँखों से अश्क़ों की बरसात होगी
अगर ज़िन्दगी से मुलाक़ात होगी

मैं बहती नदी हूँ तू वादी का सीना
खुदा जाने फिर कब मुलाक़ात होगी

मुसाफ़िर हैं लेकिन नहीं कोई मंजिल
जहाँ दिन ढलेगा वहीँ रात होगी

सारे शाम ही दिल घुमड़ने लगा है
लगे है कि इस रात बरसात होगी

दरख़्तों के दामन से उलझेंगी किरणें
कहीं दिन उगेगा कहीं रात होगी

ज़मीं जब ज़माने सभी खा चुकेगी
परिंदों की आवाज़ सौगात होगी

जहाँ सांस टूटेगी अपनी वही से
नए इक सफ़र की शुरुआत होगी