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तोरोॅ दुनिया पर हम्में बिचारै छी / जयप्रकाश गुप्ता
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तोरोॅ दुनिया पर हम्में बिचारै छी
सुख खोजै छी खौजै छी खोजै छी
होथैं बिहान धूपेॅ रं पसरौं
डगर-डगर छाया रं ससरौं
रही-रही सांझ निहारै छी
सौ-सौ आकाश बादल रं भटकौ
आशोॅ के जंगल बतासोॅ रं अटकौं
लोरोॅ सें प्यास बुझावै छी
रंग-विरंग के हमरोॅ सपना
मन झूलै छै चंदन के पलना
प्रेमोॅ के याद संवारै छी