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दग़िस्तानी लोरी - 2 / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

ख़ुश्क, गर्म मौसम में बारिश — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
बरसाती गर्मी में सूरज — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
होंठ शहद से मीठे-मीठे — मेरे बच्चे, वे तुम हो ।
काले अँगूरों सी आँखें — मेरे बच्चे, वे तुम हो ।

नाम शहद से बढ़कर मीठा — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
चैन नयन को जो सुख देता — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
धड़क रहा है जो सजीव दिल — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
स्पन्दित दिल की चाबी जैसे — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।

जो सन्दूक मढ़ा चाँदी से — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।
जो सन्दूक भरा सोने से — मेरे बच्चे, वह तुम हो ।


रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु