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धर्म गँवाना ना अच्छा / चन्द्रमोहन रंजीत सिंह

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धर्म छोड़ने से, फूलों के सेज पर सोना ना अच्छा
धर्म की रक्ष में काँटों सोना है सबसे अच्छा
हरिश्चन्द्र ने दानकर्म को तजे न संकट लाख सहे
सोच लिया दुख सहना अच्छा धर्म छोड़ना ना अच्छा
तेग बहादुर कत्ल हो गए मोह किया ना काया का
खून बहा कर सिखा गए निज छोड़ना ना अच्छा
वीर हकीकत हँसते हँसते, झूल गए थे फाँसी पर
उस बालक से सीख लो प्यारे, धर्म त्यागना ना अच्छा
सती पùिनी कूद पड़ी थी महाभयंकर ज्वाला में
सिखा गई घर-घर सतियों को धर्म गँवाना ना अच्छा।