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नीराजन / देवाधिदेव / जनार्दन राय

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जय हो माता पारवती, पिता शम्भु सुख-धाम,
सीय राम शारदा का कभी न भूलू नाम।
हूं उतारता आरती घर कर पावन-ध्यान,
कृपा करें सब देव गण देकर मुझको ज्ञान।
शब्दों के ही सुमन से पूजूँ हे करतार,
मोह, वासना-तिमिर से लेलो मुझे उबार।