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पड़ने की है उमर यही / उषा यादव
Kavita Kosh से
पढ़ने की है उमर यही
नौनिहाल, तुम खूब पढ़ो।
बढ्ने की है उमर यही
नौनिहाल, तुम खूब बढ़ो।
उन्नति के ऊँचे शिखरों पर
हिम्मत बाँधो और चढ़ो।
नौनिहाल तुम खूब पढ़ो।
नौनिहाल तुम खूब पढ़ो।