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पत्र पुराने पाये / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।
उन्हें पढ़ा तो कितने मंज़र हमें नज़र फिर आये।
पहले पत्र पढ़ा जो तुमने
पहली बार लिखा था।
तुम करते हो हमको कितना
ज़्यादा प्यार लिखा था।
आज प्यार के सागर में हम फिर डूबे-उतराये
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।
फिर क्रमशः वे पत्र पढ़े जो
तुमने भेजे अक्सर।
जिनमें से कुछ के तो अब तक
हम न दे सके उत्तर।
अंतिम पत्र तुम्हारा पाया जब तुम हुए पराये
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।
उसमें तुमने हमें लिखा था-
अब हम तुम्हें भुला दें।
और तुम्हारे पत्रों को हम
रक्खें नहीं, जला दें।
पर अपने ही दिल को कैसे कोई आग लगाये।
आज साफ़ की अलमारी कुछ पत्र पुराने पाये।