भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पद-3 / रामधारी सिंह 'काव्यतीर्थ'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

महिमा तोरोॅ अपार जगजननी
महिमा तोरोॅ अपार ।
तोहें छेकोॅ आदिशक्ति, दुर्गा, भवानी, माता काली
सीता, राधा, माता राजेश्वरी, तोरोॅ कोय नै पावै पार ।
वेद-शास्त्रा गावेॅ नै पारै छै, शेष-शारदा भी तेॅ थकले छै
ऋषि-मुनि, साधू आरू सन्यासी तोरा सें सब्भैं मानलक हार ।
सब्भै जीवोॅ में आत्मा रूपोॅ में, सब के हृदय में दया रूपोॅ में
शांति, क्षमा, प्रेम, भ्रान्ति रूपोॅ में, तोरा हम्में करै छी नमस्कार ।