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परछन / श्रीस्नेही
Kavita Kosh से
मैना चलेॅली परेछेॅ शिव-शंकरेॅ।
देखी मने मन कोसै बिधि हरि-हरेॅ॥
धिया केनाकेॅ रहति सुकुमारी।
रूपेॅ वरऽ के लागै छै अति भयकारी॥ मैना...
नागेॅ रही-रही छोड़ै फुफकारेॅ।
मायगे हम्में नै बिहैबै धिया यही वरेॅ॥ मैना...
पानेॅ हाथेॅ कपूर धीयेॅ बाती।
सखिया थर-थर काँपी करै गलसेदी॥
मैना चलेॅली परेछेॅ शिवशंकर।
देखी मने मन कोसै विधि-हरिहर॥