Last modified on 18 नवम्बर 2019, at 17:55

पहला और आख़िरी / उज्ज्वल भट्टाचार्य

वह पहली घड़ी थी
जब मैंने पूछा था :
तुम कौन हो ?

और मेरा सवाल
गूँजते हुए
जवाब बन गया :

मैं तुम हूँ !

बाक़ी ज़िन्दगी गुज़र गई
तुम और मैं के इस खेल में ।