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प्रधानमंत्री की ग़ज़ल / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
प्रधानमंत्री की ग़ज़ल को जब एक
मशहूर ग़ज़ल गायक ने गाया तो
सभागार में लोग विभोर होने लगे
वाह ! कितनी अच्छी ग़ज़ल है
आवाज़ तो और ग़ज़ब की है
लोगों ने कहा- प्रधानमंत्री सिर्फ़ मुल्क का
काम-काज नहीं चलाते
अच्छी ग़ज़लें भी लिखते हैं
उन्हें तो पूर्णकालिक शायर होना
चाहिए
समालोचकों की राय थी- प्रधानमंत्री
कुछ भी लिखें अचानक हो जाता है
महत्त्वपूर्ण
यहाँ तक कि उनके भाषण को
ग़ज़ल की तरह गाया जा सकता है
प्रधानमंत्री से अच्छी ग़ज़लें लिखने वाले
लोग अँधेरी कोठरियों में अपने दिन
गुज़ार रहे हैं
उन पर कोई ग़ज़ल गायक अपनी
आवाज़ कुर्बान नहीं करता
अच्छे से अच्छा शायर प्रधानमंत्री
नहीं बन सकता
ठीक उसी तरह जैसे प्रधानमंत्री
नहीं हो सकते अच्छे शायर