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प्रभुकी महत्ता और दयालुता / तुलसीदास/ पृष्ठ 1

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प्रभुकी महत्ता और दयालुता

 ( छंद 124, 125)

(124)
 
तौलौं लोभ लोलुप ललात लालची लबार,
 बार-बार लालचु धरनि-धन-धामको।

तबलौं बियोग -रोग -सोग , भोग जातनाको,
 जुग सम लागत जीवनु जाम-जामको।।
 
तौलौं दुख-दारिद दहत अति नित तनु
तुलसी है किंकरू बिमोह-कोह -कामको।

सब दुख आपने, निरापने सकल सुख,
जौलौं जनु भयो न बजाइ राजा रामको।।

(125)

तौलों मलीन ,हीन , दीन, सुख सपनें न,
जहाँ-तहाँ दुखी जनु भाजनु कलेसको।

तौलौं उबेने पाय फिरत पेटौ खलाय ,
बाय मुह सहत पराभौं देस-देसको।

तबलौं दयावनो दुसह दुख दारिदको,
साथरीको सोइबो, ओढ़िबो झूने खेसको।।

 जबलौं न भजैं जीहैं जानकी-जीवन रामु,
 राजनको राजा सो तौ साहेबु महेसको।।