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प्रार्थना-एक / रेणु हुसैन
Kavita Kosh से
प्यार भरी बेचैंन सदाएं
ढूँढ़ रही हैं किसे हवाएं
झरने, नदियाँ और समंदर
किसकी ख़ातिर गाते जाएं
तितली, शबनम, फूल और अम्बर
किस पर अपना रंग उड़ाएं
किसकी जुदाई को सहती हैं
क्यों रोएं अम्बर की घटाएं
तुम हो सबमें, सबमें तुम हो
तुमको ही सब जीते जाएं