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फासला / नीरज दइया
Kavita Kosh से
कितना हो सकता है फासला
मिलन और विरह में
सुख और दुख में
आकाश से गिरती
किसी बूंद और सीपी में.....
किसी प्यास और पानी के बीच
फासला कितना हो सकता है?
बताओ!
मंजिल और राही में
क्या होती है कोई
पुरानी पहचान?
बस यह जान लो
होता है तय हर फासला
मजबूत इरादों से....
है अगर हौसला
कोई बदल नहीं सकता
फासला।