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फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब / ग़ालिब

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फिर हुआ वक़्त कि हो बालकुशा<ref>बाल खोले</ref>मौजे-शराब<ref>मदिरा की धारा</ref>
दे बते मय<ref>मदिरा पात्र</ref>को दिल-ओ-दस्ते शना<ref>हृदय व हाथ की शक्ति</ref> मौजे-शराब

पूछ मत वजहे-सियहमस्ती<ref>नशे में धुत्त होने का कारण</ref>-ए-अरबाबे-चमन<ref>माली</ref>
साया-ए-ताक<ref>अंगूर की बेल की छाँव</ref> में होती है हवा मौजे-शराब

है ये बरसात वो मौसम कि अजब क्या है अगर
मौजे-हस्ती<ref>जीवन धारा</ref> को करे फ़ैज़े-हवा<ref>वायु का आनंद</ref> मौजे शराब

जिस क़दर रूहे-नबाती<ref>वनस्पति की आत्मा</ref> है जिगर तश्ना-ए-नाज़<ref>गर्वपूर्ण प्यास</ref>
दे है तस्कीं<ref>तसल्ली</ref>ब-दमे- आबे-बक़ा <ref>अमृत की बूँद की तरह</ref> मौजे-शराब

बस कि दौड़े है रगे-ताक<ref>अंगूर की रग</ref> में ख़ूँ हो-हो कर
शहपरे-रंग <ref>रंगीन पंख</ref> से है बालकुशा<ref>बाल खोले हुए</ref> मौजे-शराब

मौज-ए-गुल<ref>पुष्प लहर</ref> से चराग़ाँ<ref>प्रदीप्त</ref> है गुज़रगाहे ख़याल<ref>कल्पनाओं की राह</ref>
है तसव्वुर<ref>कल्पना</ref> में जिबस<ref>अत्याधिक</ref> जल्वानुमा मौजे-शराब

नश्शे के पर्दे में है मह्वे<ref>छुपा हुआ</ref> तमाशा -ए-दिमाग़
बस कि रखती है सरे- नश-ओ-नुमा<ref>विकास</ref> मौजे शराब

एक आलम<ref> स्थिति</ref> पे है तूफ़ानी-ए-कैफ़ीयते-फ़स्ल<ref>वसंत के आने की उमंग</ref>
मौज -ए-सब्ज़ा-ए-नौख़ेज़<ref>नवोदित हरियाली की बहार</ref> से ता मौजे-शराब

शरहे<ref>व्याख्या</ref> -हंगामा-ए-हस्ती<ref>जीवन की चहल-पहल</ref> है, ज़हे<ref>धन्य</ref>मौसमे-गुल
रहबरे-क़तरा ब-दरिया<ref>बूँद को नदी तक ले जाने वाला</ref> है ख़ुशा<ref>बहुत अच्छा</ref>मौजे-शराब

होश उड़ते हैं मेरे जल्वा-ए-गुल<ref>फूल की बहार</ref> देख असद
फिर हुआ वक़्त कि हो बालकुशा मौजे-शराब

शब्दार्थ
<references/>