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मनॉन / श्रीस्नेही
Kavita Kosh से
तोर्हा सुमरौं दिन-रात, उठी पूजौं परात,
मैया देॅदे दरस अबेॅगे!
फूल न अढोल मैया धूपऽ नै बाती!
अच्छत-सुपाड़ियो नै पानें पूजौती॥
किये चढ़ैबी तोर्हा गे! मैया...
बेटा अबोध हम्में दुनिया के हारलऽ!
घर्हौं सें दूर आरो बुद्धि के मारलऽ!!
किये सुनैबौ तोर्हा गे! मैया...
सुधियो नै मैया जे करमऽ के जानौं!
पोथी के पचड़ा सें अलधैं बखानौं!!
पैयाँ-पीरिती बस गे! मैया...
तोर्हा सुमरौं दिन-रात, उठी पूजौं परात,
मैया देॅ दे दरस अब गे!