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माथे का तिलक / भानुमती नागदान

Kavita Kosh से
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कहने को तो लाल रज है किंतु अपने धर्म और इमान से भी अनमोल है
माथे पर लगाने से रज तिलक बन जाता है।
माथे के तिलक के अनेकों अर्थ है और अलग-अलग मान्यताएँ हैं
माया भाग्य और विधाता का प्रतीक माना जाता है ।
सो माथे पर तिलक लगाकर हम अपने भाग्य की उपासना करते हैं
महिलाएँ माथे पर तिलक लगाकर और अपनी मांग भरकर सोहागन कहलाती है
चांदी एवं सोने के गहनों में सजी सवा लाख की दुल्हन की भी चुटकी भर सिंदूर की तमन्ना होती है ।
दुल्हे राजा चुटकी भर सिंदूर से दुल्हन को अपनी पत्नी बनाता है
राखी के अवसर पर बहन भाई के माथे पर विश्वास का तिलक लगाती है
रण भूमि में जाते हुए सैनिक को विजयी तिलक लगाया जाता है
अपने माथे पर लाल तिलक लगाकर चुनावी नेता अपनी पहचान कराता है ।
माथे पर माँ भवानी का तिलक लगाकर डाकु अपनी लूट के लिए निकलता है ।
नारियाँ अपने माथे पर लाल तिलक लगाकर अपने आप को सुरक्षित महसूस करती है
घर के हर शुभ कार्य पर पहले कुम-कुम घोला जाता है
घर के दरवाज़ों-दीवारों पर तिलक लगाया जाता है ।
घर की दहलीज़ की पूजा लाल कुम-कुम से होती है
तिलक को लेकर कई उदाहरण दिये जा सकते हैं
माथे का हमारा तिलक हमारा आदर्श है, सम्मान है, विश्वास और पहचान है ।
युग आएँगे, युग जाएँगे
हमारी तिलक लगाने की परंपरा अटल और अमर रहेगी
यह हम हिंदुओं की धरोहर है हमारा गौरव है ।
विश्वास चुटकी भर धूल को माथे पर लगाकर अपनी मान मर्यादा बढ़ाते हैं ।