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मीता / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
हमरा बाबू नहि देलक
माय नहि देलक
भाय नहि देलक
बहिन नहि देलक
कोनो सुर-कुटुम नहि देलक
तोहीं दैह
बुढ़ारियोमे जुआनी अनुभव करबा लेल
प्रेमक दबाइ
मगनक दबाइ
आ, हिम्मतिक दबाइ।
आबह मीता!
बाँटि-चुटि ली
स्नेह आ साहचर्य।