मुक्तक संग्रह-4 / विशाल समर्पित
नेह-संवाद होते तो आता मज़ा
हाथ में हाथ होते तो आता मज़ा
उड़ रहे व्योम में अनमने मन से हम
काश तुम साथ होते तो आता मज़ा
नेह- नेह करने के बाद नहीं मिलता
दुःख आँसू झरने के बाद नहीं मिलता
जीते जी ही स्वर्ग बनाओ जीवन को
स्वर्ग कभी मरने के बाद नहीं मिलता
बहुत उलझे हुए हैं हम हमारा क्या ठिकाना है
हमें हर क्षण मुहब्बत का मुहब्बत में गँवाना है
हमारी आँख में हरदम तुम्हारा रूप होता है
तुम्हारे स्वप्न देखें हम तुम्हे अपना बनाना है
तुम्हारे सुख तथा दुःख के सभी त्यौहार मे होंगे
तुम्हारी जिंदगी मे हम अहम किरदार मे होंगे
निराशा पास मे अपने कभी आने नहीं देना
तुम्हारे साथ जीवन भर सदा संसार मे होंगे
जहाँ में बाँट कर नफरत कलंदर हो नहीं सकता
हमें मालूम है मीठा समंदर हो नहीं सकता
दिलों को जीत ले जो प्यार से वो ही सिकंदर है
ज़मी को जीतने वाला सिकंदर हो नहीं सकता