Last modified on 29 मई 2010, at 03:26

मेरा मस्तक लज्जा से झुक जाता है / गुलाब खंडेलवाल


मेरा मस्तक लज्जा से झुक जाता है
जब कोई मुझसे कहता है
कि तेरा पिता
जो सात आसमानों के ऊपर रहता है
इतना छोटा कैसे हो गया था
कि अपनी सृष्टि नापने के लिए
उसे दो पग चलना पड़ा!
एक भोले-भाले भक्त को छलना पड़ा!
बहुरुपिए की तरह रूप बदलना पड़ा!