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मेरी हिंदी के बारे में कुछ मत बोलना बवाल हो जाएगा / कुमार विक्रम

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मेरी हिंदी के बारे में कुछ मत बोलना
बवाल हो जाएगा
अभी से ही कह देता हूँ
भ्रूण हत्याएँ, कन्या दर्मन
और पुत्र-प्राप्ति के सारे यज्ञों के बाद
बची-खुची कन्याओं का कंजक पूजन
ही तो मेरी हिंदी है
मैं उसे नमन करता हूँ
एक देवी के रूप में
अथवा गमलों में लगे तुलसी के पेड़ के रूप में
तुम होगे ग़ुलाम अंग्रेजी के
अब तो मेरी हिंदी
यूनिकोड में अंग्रेजी से भी तेज लिखी जाती है
ज़रा अपने औपनिवेशिक मानसिकता से उबरो
देखो अब एयरटेल-वोडाफ़ोन वाले भी
रोमन लिपि में हिंदी ही लिखते हैं
देखो वो रईसों के रंगरलियों के किस्से
मॉडल्स की नुमाइशें
इंटरनेट पर पसरी अनगिनत अश्लील तस्वीरें
शेयरों के सूचकांक
अपने ज़मीन से निकाले गए किसानो
के बारे में सरकारी परिपत्रक
आखिर मेरी हिंदी में अब क्या नहीं संभव है?
यह हिंदी-पट्टी ही तो है
जहाँ नाबालिगों को उल्टा टांग देते हैं हम
पेड़ों पर, बिजली के खम्बों पर, पँखों पर,
हिम्मत है अगर तो कोई अंग्रेज़ियत का ग़ुलाम
ऐसा कर दिखा दे,
उसकी टांग अगर न तोड़ दूँ
तो मैं अपनी भाषा वाला नहीं
कहाँ हैं वो अंग्रेजी में टिपिर-टिपिर करने वाले
कहाँ हैं वो छुरी-काँटा से खाने वाले
कहाँ हैं वो साहित्य-संस्कृति के ठेकेदार
कहाँ हैं वो अपने आप को
हिन्द के पहरेदार मानने वाले
कहाँ हैं कहाँ हैं कहाँ हैं
देखो गर्व से देखो मुझे
 
मैं तुम्हारा ही तो हूँ
वर्षों से बन रहा
(और अशुद्धि लिस्ट
के साथ अब प्रकाशित)
निज भाषा हिंदी संस्करण
 
‘उद्भावना ‘ 2015