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यमुना तट पर बंशी वादन( राग नट) / तुलसीदास
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यमुना तट पर बंशी वादन( राग नट)
गावत गोपाल लाल नीकें राग नट हैं।
चलि री आलि देखन, लोयन लाहु पेखन,
ठाढ़े सुरतरू तर तटिनी के तट हैं।1।
मोरचंदा चारू सिर, मंजु गुंजा पुंज धरें,
बनि बनधातु तन ओढ़े पीत पट हैं।
मुरली तान तरँग, मोहे कुरँग बिहँग,
जोहैं मुरति त्रिभंग निपट निकट हैं।2।
अंबर अमर हरषत बरषत फूल,
स्नेह सिथिल गोप गाइन के ठट हैं।
तुलसी प्रभु निहारि जहाँ तहाँ ब्रज नारि,
ठगी ठाढ़ी मग लिएँ रीते भरे घट हैं।3।