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यही वर दो / कविता कानन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
मिलन यामिनी की
मादक बेला में
उठाते हुए
नववधू का घूँघट
पति ने कहा -
प्रिये , तुम्हे पाकर मैं
बहुत प्रसन्न हूँ ।
कुछ भी माँग लो
तुम्हारे लिये
आज कुछ भी नहीं है
अदेय ।
पत्नी ने हाथ
जोड़ कर कहा -
मेरे देव ।
यदि देना है तो
यही वर दो
छोटा सा
सुखों भरा घर दो ।
वादा करो कि
अभी नहीं
कम से कम
दो वर्ष बाद
मेरी इस माँग को
तुम रखना याद
एक या दो
बच्चों की
मीठी किलकारी से
कर देना घर आँगन
आबाद ।
नहीं चाहिये मुझे
बच्चों की कतार
तभी पा सकोगे
तुम मेरा
पूर्ण समर्पण
मेरा प्यार।