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ये दुख के दिन काटे हैं जिसने / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

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ये दुख के दिन
काटे हैं जिसने
गिन गिनकर
पल-छिन, तिन-तिन।
आँसू की लड़ के मोती के
हार पिरोये,
गले डालकर प्रियतम के
लखने को शशिमुख
दुःखनिशा में
उज्ज्वल अमलिन।