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रुथ के प्रति / भुवनेश्वर
Kavita Kosh से
यदि प्रसन्न पंख गिर जाएँ
और दॄष्टि आँखें मूँद ले
बाज़ दम तोड़ दे
और मकरंद की आँखों में आँसू आ जाएँ
यदि दोपहर चमकने लगे
आगामी कल के उजाले से
रातों में सन्नाटा छा जाए
मछुवारों की पतवारों से
यदि वह झूठ बोलने के लिए भी
(शोक मनाना चाहता है)
और सच बोलने के लिए मरना चाहता है
तो उसके लिए
बोलने के साथ मर जाना बेहतर है
रुथ के कान में कुछ कहने के बजाय।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रमेश बक्षी