Last modified on 4 सितम्बर 2018, at 18:05

रूप की राह / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

रूप की राह पर जब-जब भी चले बहक,
प्रीत की छाँह में भी दर्द कई दहक गए,
उन परिंदों की मगर याद बहुत आती है-
जो मेरे बाग में दो पल के लिए चहक गए।