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लोग गायब हो रहे हैं / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
Kavita Kosh से
मैं इस बुरि ख़बर के साथ
आया हूँ नौजवान
कि लोग
ग़ायब हो रहे हैं
यह ख़बर अख़बार में नहीं छपी
और जासूस कुछ नहीं बता रहे हैं
रानी गुलाब-जल में नहा रही है
और राजकुमार
अगली सदी तक के लिए सो गया है
लेकिन यह ख़बर सही है
मैंने अपनी आँखों से देखा है
राजधानी में
एक अदृश्य हाथ उन्हें छूता है
और वे अच्छे खासे
हट्टे-कट्टे लोग
छूमंतर हो जाते हैं
यह कोई जादू का खेल नहीं
हक़ीक़त है नौजवान
और इससे पहले कि
ग़ायब हो जाए वह
जिसे तुम समझते हो अनश्वर
तुम दौड़ो
दौड़ो इस ख़बर के साथ
कि मनुष्यों की दुर्लभ प्रजाति
ग़ायब हो रही है
नौजवान तुम दौड़ सकते हो
दौड़ो जैसे हवा जैसे
सूरज की किरणें दौड़ती हैं
और बोलो
जैसे बिजली बोलती है
कि लोग
ग़ायब हो रहे हैं ।