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वही गीत प्यारे सुनाएगा कब तक / अशोक अंजुम
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वही गीत प्यारे सुनाएगा कब तक?
तू जनता को उल्लू बनाएगा कब तक?
ये आवारगी छोड़ दे मान भी जा,
तेरा बाप तुझको खिलाएगा कब तक?
कई दिन से घोंचू तू पीछे पड़ा है,
बता गुलबदन को पटाएगा कब तक?
अरे ओ खजैले तू पीकर के पव्वा,
मेरी खोपड़ी को खुजाएगा कब तक?
अजी संतजी, छोड़िये धर्म-चर्चा,
उजाला हमें अब डराएगा कब तक?
ये नौसिखिये नेता के अब्बाजी बोले-
तू कुर्सी से टाँका भिड़ाएगा कब तक?
तू पैरोडियों से कभी चुटकुलों से-
दुकां मंच पर कवि चलाएगा कब तक?