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आज फिर चाँद की पेशानी से / गुलज़ार

13 दिसम्बर 2011

  • शरद

    'आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ<br /> आज फिर महकी ह...' के साथ नया पन्ना बनाया

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