गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
पृष्ठ इतिहास
आज फिर चाँद की पेशानी से / गुलज़ार
13 दिसम्बर 2011
शरद
'आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ<br /> आज फिर महकी ह...' के साथ नया पन्ना बनाया
03:54
+601