गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता / ज़फ़र
40 bytes added
,
08:19, 29 दिसम्बर 2010
आपने खुद का ही दिवाना बनाया होता
रोज़ मामूर-ए-दुनिया<ref>
सम्पुर्ण संसार
</ref> में खराबी है ‘जफर’
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता
</poem>
{{KKMeaning}}
आशिष पुरोहित
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits