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{{KKRachna
|रचनाकार=दुष्यंत कुमार
|संग्रह=सूर्य का स्वागत / दुष्यन्त दुष्यंत कुमार
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कल माँ ने यह कहा –<br>-कि उसकी शादी तय हो गयी गई कहीं पर,<br>मैं मुसकाया वहाँ मौन<br>रो दिया किन्तु कमरे में आकर<br>जैसे दो दुनिया हों मुझको<br>मेरा कमरा औ' मेरा घर ।<br><br/poem>