भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
‘नज़र’ जो कहता था इश्क़ इक बला है
वो ख़ुद भी आज इसी इश्क़ में मुब्तिला<ref>फँसा हुआ, जकड़ा हुआ (embroiled)</ref> है
{{KKMeaning}}
</poem>