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Kavita Kosh से
<!--<table width=100% cellpadding=6 stylediv id="border:6px solid orangekkreadercommentsblock"><trdiv id="kkreadercomment"><td>अपने संदेश लिखने कविता रचने और उसकी पूर्णता पर जो खुशी मुझे मिलती रही है, उससे कुछ अधिक ही आनन्द "कविता कोश" पर अपनी अंगिका और हिन्दी की कविताओं को पढ़ कर होता है। बात सिर्फ़ मेरी रचनाओं तक ही सीमित नहीं है, हिन्दी के लिये <font size=4>लोकप्रिय कवियों की रचनाओं को पढ़ कर मुझे जिस अतिशय आनन्द की प्राप्ति होती है, उस व्यक्त करना कठिन है । भारतीय भाषाओँ को लोकप्रिय और सर्वव्यापी बनाने में "कविता कोश" ने जो भूमिका निभायी है, वह अद्भुत है, अभिभूत करने वाली है। अंगिका रचनाकारों को तो "कविता कोश" ने एक संयुक्त परिवार में ही बाँध दिया है और अंगिका का नाद आकाश तक गूँज उठा है। [http://guestbooks.pathfinderkavitakosh.grorg/signkk/kavitakosh यहाँ क्लिक कीजियेotherapps/kkparivaar/kkparivaar.htm कविता कोश परिवार]को मेरा हार्दिक आभार निवेदित।</fontdiv></td><td aligndiv id=right><font size=4"kkcomentatorname">[[अमरेन्द्र|डा. अमरेन्द्र]]</font></td></trdiv></table>-->==रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'==कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा।<br><brdiv>
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दो साल पहले एक स्टूडेंट ने मुझसे एक कविता के बारे में पूछा जो उसे नहीं आती थी।उसे कविता की एक लाइन ही याद थी।कविता मेरी पढ़ी हुई थी लेकिन मुझे भी पूरी याद नहीं आ रही थी। मैंने उस से अगले दिन बताने को कहा। घर आ कर मैंने उन किताबों में दूंढने की कोशिश की जो मेरे पास थीं लेकिन मुझे वो कविता नहीं मिली। फिर मैंने इन्टरनेट पर कविता खोजने की सोची। गूगल ने सबसे पहला रिजल्ट जो जिस वेबसाइट का दिखाया वो कविता कोश का था। कविता मुझे मिल गयी थी। अगले दिन उस स्टूडेंट को वो कविता दे दी। उसे कविता मिल गयी और मुझे कविता कोश...
उस दिन से लेकर आज तक जब भी कोई कविता, दोहा, नज़्म या कोई भी रचना जो मैं भूल जाती हूँ या अधूरी आती है कविता कोश की मदद से मुझे मिल जाती है। कविता कोश मेरे लिए जादू की पिटारी जैसा है जिसमें से हर बार मुझे मनचाही कविता मिल जाती है। ऐसा बहुत कम हुआ है कि मैंने कविता कोश में कुछ खोजा हो और वो मुझे ना मिला हो।
ललित जी, साहित्य के क्षेत्र में इस अमूल्य योगदान के लिए आप साधुवाद के पात्र हैं। हमारी हर पीढ़ी आपकी शुक्रगुज़ार रहेगी। आपको नमन है।
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<div id="kkcomentatorname">रश्मि, अध्यापिका, ग़ाज़ियाबाद, (17 जून 2014)</div>
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ललितजी को गुरूजी का स्नेहाशीष। कविता कोश की आठवीं वर्षगांठ की अग्रिम बधाई। कविता कोश का भाई गद्य कोश तो मुझे झकझोर कर जगादिया। प्रकाशन जगत की विडम्बनाओं से उब कर लेखन से ही जी चुरा रहा था। अब भला आप ही कहिये न- कोई नायिका रोज नये श्रृंगार करके बैठेगी और उसे निहारने वाला ही नहीं रहेगा तो क्या होगा? गद्य कोश पर मेरे दो उपन्यास और सोलह अन्य रचनाओं को स्थान देकर इस टीम ने मुझे तो भाई पुनुर्जीवित कर दिया। इसकी कितनी सराहना करुँ कम ही है। कविता की तो मैं तुकवन्दी भी नहीं कर पाता, अतः उसके लायक मेरे पास कुछ नहीं। पर कविता का रसास्वादन तो करता ही रहता हूँ। जानकरियों का पिटारा है कविता कोश। उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना। ईश्वर करे दिन-दूना रात चौगना तरक्की करे। पूरी मंडली को मेरा हार्दिक अभिनन्दन और आशीष।
<div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश के बारे में कुछ कहना अपने आप में एक असम्भव सा काम है। कविता कोश को मैंने हमेशा रेफेर करता था, जब भी मुझे कोई कविता या कुछ और जानकारियाँ चाहिए होती तो मुझे कविताकोश को देखता, वहीं से जानकारी हांसिल करता था। और आज भी मेरा सिंगल पॉइंट रिफरेन्स कविताकोश ही है। बाद में बहुत बाद में जब मेरी अपनी कविताएँ और कहानियाँ इसका हिस्सा बनी तो मैं ख़ुशी के मारे फूला न समाया। ये मेरी एक साहित्यकार के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। इसके लिए मैं ललित जी और कविताकोश का हमेशा ही शुक्रगुजार रहूँगा! ललित जी ने जो काम किया है कविताकोश के रूप में, वो अतुलनीय है। कविताकोश की तरह समृद्ध कोई और साईट नहीं है। इन्टरनेट पर इतनी अच्छी सामग्री कहीं और नहीं है। यकीनन, ललित जी ने बहुत मेहनत का काम किया है। मेरी दिल से बधाई और शुभकामनाएँ ललित जी को और कविताकोश को</div><div id="kkcomentatorname">[[विजय कुमार सप्पत्ति]], लेखक</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">ये है कविता कोश अनुपम, अलंकारों से जड़ा,<br>जितना लूटोगे इसे आश्चर्य मय! उतना बढ़ा<br>हीरक मणि सी भावनाएं, विज्ञ लोगों ने गढी<br>कोश कविता का खुला है, पा सकें जिसने पढीं.<br>थामतीं हैं भावनाएँ, हो विषादों की घड़ी<br>इनकी तन्मयता निरंतर, ब्रह्म से होतीं जुडी.<br>जब कोई साथी हमें, मिलता नहीं परिवेश में,<br>साथ साँचा पा सकेंगे, मित्र '''"कविता कोश"''' में<br></div><div id="kkcomentatorname">[[मृदुल कीर्ति | डॉ. मृदुल कीर्ति]], कवयित्री</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश ने दो वर्ष की यात्रा सफलता-पूर्वक पूरी कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है. इसके माध्यम से आपने हिन्दी के लिए अमूल्य कार्य किया है. हिन्दी कविता को विश्व-मानचित्र में सुस्थापित करने का जो गौरवपूर्ण कार्य आपने किया है वह श्लाघनीय है. मेरा विश्वास है कि कविताकोश की यह यात्रा निरंतर जारी रहेगी. इस अवसर के लिए आपको मेरी ढेर सारी बधाई.</div><div id="kkcomentatorname">रूपसिंह चन्देल, लेखक</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">हिन्दी काव्य सृजन के विविध रूप—रंग विश्व—व्यापी पाठक वर्ग के समक्ष कविता कोश के रूप में लाकर रखने का आपने जो प्रयास किया है उसकी प्रशंसा और अनुशंसा के लिये लिए कम—अज़—कम मेरे पास तो शब्द ही नहीं हैं! मात्र दो वर्ष में इतना अधिक नया—पुराना काव्य सृजन साहित्य प्रेमियों के लिए कविता कोष में जुटा पाना एक सपने जैसा तो लगता है, लेकिन इस सपने को यहाँ सच होते हुए भी हम देख ही पा रहे हैं। आश्वस्त हुआ जा सकता है कि आने वाले कुछ ही वर्षों में विश्व भर का हिन्दी काव्य यहाँ उपलब्ध होगा। ''है तेरे साथ अगर तेरे इरादों का जुनूँ,''<br>''क़ाफ़िला है तू कभी खु़द को अकेला न समझ''<br> आपका यह संकल्प निरन्तर बना रहे, सुदृढ़ हो!</div><div id="kkcomentatorname">[[द्विजेन्द्र 'द्विज']]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश से जुड़ कर बहुत अच्छा लगा। कविता कोश के साथ क्यों नहीं कथाकोश की शुरुआत करते...अच्छा रहेगा... कविता कोश की उन्नति हो...</div><div id="kkcomentatorname">[[आभा बोधिसत्त्व]]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">यह हम सब हिंदी प्रेमियों के लिए बड़े गर्व और हर्ष की बात है कि आपने जिस महत्वपूर्ण लेकिन बहुत कठिन काम का सपना देखा था, वह आज एक उपलब्द्धि के रूप में हमारे सामने हैं। नि:संदेह यह दुरुह और श्रमसाध्य कार्य था लेकिन आपकी निष्ठा और लगन ने सिद्ध कर दिया है कि आदमी अगर चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। कविता कोश में गत दो वर्षों में 325 से अधिक कवियों की 10,000 रचनाओं को संकलित करके न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए वरन आने वाली नई पीढ़ी के लिए एक बेहद अनूठा और महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाया है, इसके लिए आप को और कविता कोश की पूरी टीम को बधाई।</div><div id="kkcomentatorname">[[सुभाष नीरव]]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश निस्संदेह हमारा अपना हिन्दी रचना जगत का एक जरूरी वेब जाल है । शुभकामनाएँ और बधाई</div><div id="kkcomentatorname">[[दिविक रमेश]]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">इस भगीरथ आनन्द लहरी के बारे में क्या लिखूं, कविता कोष वाकई में काव्य प्रेमियों की विश्रामस्थली बन चुका है...दस्तक दो और मित्र हाजिर की भांति सूर तुलसी कबीर से लेकर नीरज और बशीर बद्र तक बच्चन, निराला फैज किस किस का नाम लूं, करीब-करीब सभी तो बस एक क्लिक अवे ! यह बहुमूल्य कविता कोष का खजाना यूं ही दिन दूना और रात चौगुना बढ़ता रहे, इन्ही अशेष शुभकामनाओं के साथ...</div><div id="kkcomentatorname">शैल अग्रवाल</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">यह जानकर अत्यन्त खुशी हुई कि कविता कोश अपनी अनवरत यात्रा में दूसरा मील का पत्थर स्थापित करने जा रहा है... इतने कम समय में इतनी अधिक रचनाओं का संकलन कविताकोश ने असंभव को संभव कर दिखाया है सच में यह अद्भुत एवं प्रशंसनीय है। ललित जी एवं कविता कोश की पूरी टीम इसके लिए बधाई की हकदार है। कविताकोश इसी तीव्र गति से सफलता के अनन्त शिखरों का स्पर्श करे इन्हीं हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...</div><div id="kkcomentatorname">[[रमा द्विवेदी | डॉ. रमा द्विवेदी]]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">महान कवियों की अनमोल कविताओं का अनोखा संग्रह है कविता कोश. जब से जाना है दिन में एक बार तो जरूर ही कविता कोश में विचरण करती हूँ जितना देखती हूँ उतना ही कविताओं के इस महासागर में डूबती जाती हूँ. भगवान से प्रर्थना है की ये यूँ ही उन्नति पथ पे चढता रहे निखरता रहे सवरता रहे और रहती दुनिया तक आपनी वर्षगांठ मनाता रहे. ''कवियों की रचनाओं से परिचय करवाता कविता कोश''<br>''कविताओं का विशाल सागर है ये कविता कोश''<br>''एक व्यक्ति नही पूरी टीम का प्रयास है कविता कोश''<br>''हो बधाई सब को जिसने भी सजाया कविता कोश''<br>''कवि प्रेमियों का बसेरा है ये कविता कोश''<br></div><div id="kkcomentatorname">रचना श्रीवास्तव</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश नामक इस साइट ने हिन्दी-जगत को जो अनूठा उपहार प्रदान किया है वह एक निश्चित ही सराहनीय है। इस साइट ने हिन्दी काव्य के हर पहलू एवं अतीत से वर्तमान तक से सभी साहित्यकारों के परिचय एवं उनके साहित्य को दिये योगदान को एक श्रृंखला में पिरोया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि कविता कोश दिन-रात अमर बेल की तरह बढ़ता रहे।</div><div id="kkcomentatorname">[[भावना कुँवर | डॉ. भावना कुँवर]]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविताकोश विश्व के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी जिस प्राचीन धरोहर को हम प्रिंट माध्यम से सँजोने एवं लोगों तक पहुँचाने में असमर्थ थे; इस कोश के माध्यम से दूर–दराज़ तक पहुँचा सकेंगे एवं हिन्दी समझने वालों को जोड़ सकेंगे। इससे हिन्दी काव्य का फ़लक विस्तृत एवं व्यापक होगा।</div><div id="kkcomentatorname">[[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']]</div></div> <div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">कविता कोश से परिचित होना हिन्दी कविता के संदर्भ में इकीसवीं सदी के कवि-स्वप्न से रूबरू होने जैसा है; कम से कम मुझे तो ऐसा ही अनुभव हो रहा है। अंग्रेज़ी शब्दों के महाजाल के बीच स्थित कम्प्यूटर का अनजाना सा दिखनेवाला पर्दा जब अचानक महादेवी वर्मा, अज्ञेय, दुष्यंत कुमार इत्यादि की रचनाओं की दीप्ती तले कौंधने लगता है और विनोद कुमार शुक्ल, अरुण कमल आदि की रचनाओं को प्रस्तुत करने लगता है तो मन में हिन्दी कविता के प्रति आश्वस्ती सी जागती है। सुकून और तसल्ली की लहर हृदय को छूती है, दिलासा देती है कि हिन्दी कविता कहीं न कहीं वयव्यथा के बीच मौजूद है और शायद ऐसे ही आगे भी बनी रहेगी, स्वयं को बनाये रख पाएगी। ये तय है की कविता कोश स्वयं को और अधिक प्रतिष्ठापूर्वक स्थापित कर पाएगा यदि विज्ञान के तीव्र क़दमों के बीच हिन्दी के फ़ॉन्ट को भी ढंग से नियोजित किया जाए। शुभकामनाएँ।<br>कविता कोश के लिये!<br>कविता कोश का प्रथम स्वप्न देखने वाले के लिये!<br>कविता कोश टीम से सम्बंधित सभी लोगों के लिये।<br></div><div id="kkcomentatorname">[[इला कुमार]]</div></div>
<div id="kkreadercommentsblock"><div id="kkreadercomment">हिन्दी उन्नति कर रही, देखि हुआ संतोष,<br>कविगण हो आनन्दमय, देखें 'कविता कोश'<br>देखें कविता कोश सभी पाठकगण आकर<br>दीवाने हों मधुशाला में डुबकी पाकर<br>कह '--डॉ० सज्जन' कविराय, आज बन सुन्दर बिन्दी<br>भारत माता के मस्तक पर सजती हिन्दी<br></div><div id="kkcomentatorname">[[भावना कुँवरधर्मेन्द्र कुमार सिंह]]'''<br/div></div>