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पत्थरों का शहर (कविता) / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
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02:25, 22 सितम्बर 2011
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यह पत्थरों का शहर है
शहर न उजड़ेगा इसमें गर नाखुदाओं का बसर है
फिर न कहेगा कोई यह पत्थरों का शहर है।।
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Gopal krishna bhatt 'Aakul'
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