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|रचनाकार=भावना कुँअर
}}
{{KKCatKavita}}आज़ <poem>आज एक वर्ष पूरा हो गया मगर मेरा ख्वाब ख़्वाब
अभी अधूरा है,
अभी तो मुझे पाना है
अभी तो मुझे पानी है
फूलों -सी कोमलता धरती -सी सहनशीलता,
अभी तो मुझे चुराने हैं
कुछ रंग इन
रंगबिरंगी तितलियों से,
अभी तो मुझे लेना है
थोड़ा -सा विस्तार
इस नीले गगन से,
अभी तो मुझे लानी है
थोड़ी -सी लाली इस
ढलती हुई शाम से,
अभी तो मुझे
चुरानी है
थोड़ी -सी चमक
इन चमचमाते तारों से,
अभी तो मुझे लेनी है
थोड़ी -सी हरियाली
इन लहलहाते खलियानों से,
अभी तो मुझे पानी है
नदी -सी चंचलता और पहाड़ -सी स्थिरता हाँ , तभी तो होगा
ये ब्लॉग पूरा
इन रंगों से