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|संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भारतीय
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<Poempoem>
म्हैं वां सूं पूछ्यो
बा‘सा कीकर जीवो
खिलखिलावंतो चै‘रो
म्हारो उमर बधादयै।
</Poempoem>