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ओझा का स्वप्न / सेरजिओ बदिल्ला / रति सक्सेना
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08:27, 2 दिसम्बर 2013
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उन दिनों मैं एक ओझा के उन्माद से ग्रस्त था
जिसने कि रेगिस्तान के नीचे एक रेगिस्तानी जमीन को खोज निकाला था
या फिर मेरे पिता भँवरे की टाँगों में
लक्ष्यरहित उड़ रहे है ब्रह्मांड की कठोरता में
</poem>
Sharda suman
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