Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र अस्थाना }} {{KKCatKavita}} <poem>बाद ...' के साथ नया पन्ना बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धीरेन्द्र अस्थाना
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>बाद बिछुड़ने के हुआ मालूम ,
वो मेरे कितने करीब थे !

था मै नाचीज़ उनके लिए पर,
मेरे लिए वो नसीब थे !

गैरो में गिनता था खुद को ,
पाया तो वो बड़े अज़ीज़ थे !

थी जो दिले - जागीर पास मेरे ,
लूटे तो सबसे गरीब थे !

बाद बिछुड़ने के हुआ मालूम ,
वो मेरे कितने करीब थे !
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits