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उस क़ादरे-मुतलक़ <ref>सर्व श्रेष्ठ ईश्वर</ref> से बग़ावत भी बहुत कीइस ख़ाक के पुतले ने जसारत <ref>दुष्साहस </ref> भी बहुत की
इस दिल ने अदा कर दिया हक़ होने का अपने
तूने तो मिरे साथ रियायत भी बहुत की
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