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{{KKRachna
|रचनाकार=सुदर्शन फ़ाकिर
}} [[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें
अगर हर एक मोड़ पर हम कहें और वो मुस्कुरा ग़मों को सज़ा दें<br> हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें <br><br>
हर एक मोड़ पर हम ग़मों अगर ख़ुद को सज़ा दें <br>भूले तो, कुछ भी न भूले चलो ज़िन्दगी कि चाहत में उनकी, ख़ुदा को मोहब्बत बना भुला दें <br><br>
अगर ख़ुद को भूले तोकभी ग़म की आँधी, कुछ भी जिन्हें छू भूले <br>पाये कि चाहत में उनकीवफ़ाओं के हम, ख़ुदा को भुला वो नशेमन बना दें <br><br>
कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाये <br>वफ़ाओं क़यामत के हम, वो नशेमन बना दीवाने कहते हैं हमसे चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें <br><br>
क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे <br>चलो उनके चहरे से पर्दा हटा दें <br><br> सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें <br>मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें <br><br/poem>
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