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कविता सुनावै लेली मोॅन जबेॅ फड़कै छैसैंतीस साल नौक्रिया पुरनेकविता के नाम्हैं पे लोग कैन्हें भड़कै छै?गरभू घूरलोॅ आपनोॅ बस्तीउपरोॅ सें गम्भीर देखावैभीतरे-भीतर हालत खस्ती
पैल्हकोॅ ठो जिनगी में कविता के मान छेलैएक टरक पर गोरू काड़ी, लाद, टीन आरो बाछी पड़िया‘कवि’ कहलैलां में बड़का सम्मान छेलैकालिदासदोसरा पर बरतन बिछौनोॅ जाँतोॅ, शेक्खपीयरउखरी, वर्ड्सवर्थ शेली केखटिया मचियातुलसी औ सूर या कबीरे रङ शान दोनों जिव तिन पोती साथें, सभे समनमा छेलैजे टाटरकोॅ के हुड्डोॅ पर बैठलोॅ दोन्हू तरफें चारो बेटाचार पुतोॅ हू बच्चा गोदीं दोन्हू पर आगू में बैठलीकानी हंकरी दूध पिलावै बोकारो सें भोर्है चललीसौसें रस्ता किच-किच करने रजडांडी लग आवी गेलैचक्का धनखेती आरी लग भदबारी कीचड़ोॅ में धँसलैजोर लगैलकै फिन नैं बढ़लै कोदरा-खन्ती कत्तों चलैलकैटकवा दै-दै नजदीखै केॅ बरियोॅ-बरियोॅ लोग बोलैलकै
तखनी नवरत्नोॅ केॅ जेरा ठेलै-ठालै में जोरी लोगोॅ केॅराजां-महाराजां सिनी कविता पढ़भावै रहैदेशोॅ में आफत रहेॅ या फिन खुशहाली मेंकवि केॅ सम्मान दै-दै कविता गढ़भावै रहैखूब करै लेॅ पड़लै कुस्ती
विद्यापतिभोरकोॅ चललोॅ सांझैं अैलै, केशव, रहीम, जायसी आरनीबारोॅ घन्टा भुखे पियासलोॅराजसी सम्मान पावी रसआपनोॅ घरबा चिन्हैं नैं पारै सगरो झलकै ढहले-रस ढहलोॅगोतिया तरफें नजर हियाबै दया करी केॅ कोय तेॅ राखतोॅदशे दिनोॅ के खातिर कोइयो गोतिया कही शरणमां देतोॅभैय्यारी नाता में भीङलैमगरूं भीतरे-भीतर तरक लगावैकवि ‘रसखानोॅ’ भी ब्रजभाषा तान लै गूहाली में केना केॅराखवै भगवान्हैं है लाज बचावैकृष्णमंगरू के पेटोॅ के बतिया गरभू के माथा में धंसलैकाड़ी-भक्ति रसोॅ पाड़ी गोरू-वछिया देखि-देखि के मंगरू हंसलैखेतोॅ में खुट्टा गाड़ी केॅ सभे जानवर जोरी देलकैगूहाली अजवारी करी केॅ गरभू केॅ ओकर्है में ‘बिहारी’ साथें डूबलैबसैलकै
तखनी के लोगें जबेॅ कविता के स्वाद बुझै;चूड़ा-औकरी खिलाय-खिलाय केॅएखनी हौ सुनै में कैन्हें दिल धड़कै छै?भूख भगैथैं भेलै मस्ती
हिन्हौ जयशंकर आरो पंत फिन निराला नेनौकरिया के पैसवा देखी गरभूं तरे तोॅर बिचारैमहादेवी, गुप्तोॅ संग अलखोॅ जगैलकैचर-चर कोठरी एक बरन्डा केना के बनतै हिम्मत हारैबच्चन, नेपाली आरो सुभधौ कुमारी ने भी,हिम्मत सें फिन घ्ज्ञरबा बनलै पूजा-पाठ करैन्हैं गेलैदिनकरोॅ भानस एक बनैला पर चुल्होॅ-चक्की सड़ियैन्हैं गेलैचुकिया कीनी केॅ साथ दूध दुहलकै रोटी साथें सभ्भै खेलकैदेव पित्तर के खातिर गरभूं तुलसी पिन्डोॅ एक बनैलकैभादोॅ-बीतलै आसिन-ढुकलै दुरगा माय के भेलै तैय्यारीसैंतीस सालोॅ के नागा पर पठभा दै दै हुंकारी भरलकैके अैलै पारीटकबा खोसनें डाड़ाँ में चललोॅ पठभा कीनै लेॅ गरभू लालबीच्है ठो हटियॉ भेटी गेल्हैन यार लङगोटिया हीरा लालहीरा लालें कुशल पुछलकै गरभू बोलथै भेलोॅ बेहालचर-चर बेटा सत-सत पोती चार पुतहुवोॅ के बड़का जाल
मतर थोड़है अन्तरालें अेन्हों की जे करी देलकै?कविता सुनवैय्या ने देखावै छै लाचारीकोय कहै छै ‘बादाबोलथैं-बादीं’ कूचमर निकाली देलकैबोलथैं गरभू के जेॅकोय कहै छै ‘कला’ पर विज्ञाने पड़लै भारीआँख लौरै लै अेत्तेॅ फुरती
तुकवन्दी गरभू बोललै बड़का केॅ तिन मंझला दू बेटी के घेरा टुटथैं, छन्दोॅ बापसंझला-छोटका एख्हक लैकेॅ पड़लोॅ रहै छै आपने-आपबेटबा चारो बेरोजगारी काम कभी नैं कुछु करै छैरात-दिन बहुओॅ के मात्रा ठो हटथैंपीछूं घुरी-घुरी के पड़ी रहै छैअतुकान्त कविता ठो बनलै कवि सिनी रोॅ टाङसतरों पेट चलैय्यो एक्के केना के काटवै शेष जीनगी?गीत सिनेमां जग्घोॅ लेलकैमाथें काम नैं करै छै भैय्यां डाल नैं सूझै छै छुच्छोॅ फुनगीहीरा बोललै तोहें अच्छा, रसिकें फिन है बात कहलकैबोकारो सें कुछु तेॅ लानल्हेॅएक हमरोॅ खिस्सा अलग-थलग छै केनां केॅ बचलां तोहें की जानल्हे?अन्हरी मौगी लङड़ी बेटी रोज कमाना रोज छै खानाएक्को दिन नागा करला सें नैं भेटै छै एक्कोॅ दानाकत्तेॅ दिन तेॅ शिवजी आपन्हैं बौरोॅ वै पर पीलक भांङभुखे रहै छी बिन घरबा के फटै छै छातीमरी-खपी केॅ जियै छी भैय्या, भाड़ा दैं में लगै छेॅ दाँती
फिलम्है हमरा लेलोॅ दुनियाँ अन्धरोॅकी मंहगी आरो की छै सस्ती? गरभूं देखलक हीरा के रूख झलकै कुछू टोनै वालातुरत पटैलक एक पठभा केॅ डोर पकड़नें भागलोॅ लालाजान छोड़ैलक हीरा सें फिन पठभा कीननेॅ घोॅर पहुंचलोॅखुट्टां जोरी नजर घुमैने मंगरू लग फिन पहुंची गेलोॅपुछेॅ लागलोॅ गाँव घरोॅ के, एकाँएकीं सभ्भै के हालमंगरू से बतियावेॅ लागलोॅ ध्यिान धरी केॅ गरभूलालमंगरू बोलतै तोरा गेला पर भेलै दंगा आरो फसादटेम्हन, रोजन, जंगली मरलै मुदरत, शेखावतोॅ फसादजे बचलै वें गाँव छोड़लकै होलै बस्ती मुस्लिम-हीनपैसा वालां खूब लुटलकै साग-भाव में कविता जबेॅ गीत लेलकै कीनघोघरा बाला चनरें लेलकै, टिकरी बाला अरविन्नेंचौर कीनलकै जमनां बाबूं, भीठ कीनलकै गोविन्नेंजेकरा जन्नेॅ जहाँ सुतरलै खस्सी-पाठा-बरदा-गायसभ्भैं गोटी लाल करलकै, की वरम्हन की रजपूत भाय? एन्हों कैइहौ कभी नैं भेलैचारो तरफें अलमस्ती दू घोॅर लालां छुच्छे हियावै टंट-घंट जोगाड़ कहाँ?कोयरी कुरमीं झंट-झट कीनै हरिजन केॅ औकात कहाँ?कुदरत घर लग बसल्हौ पर भी हलवैय्याँ नैं कीनेॅ पारलैटेम्हन वाला घोॅर बीकलै लाला जी ओकरहौं में हारलैभागी केॅ कोय गोड्डा उड़लै कोय परबत्ती शहरोॅ लगखढ़िहारा में जाय धमकलै जग्घोॅ लेलकै नहरोॅ लगकीन-बेच तेॅ चलथैं रहलै-तेसर साल दसहरा तालुककत्तेॅ कीनवैय्या दौड़ै, परबत्ती सें खड़िहारा तालुककत्तेॅ अच्छा हौ सभ छेलै, कत्तेॅ प्यारोॅ बास रहैकुछ पङटा के चलतें लिखलोॅ है गाँमोॅ के नाश रहैजमना चौधरी गाँव के पढुवा होलै मैनीजर कोयला खादसभ नङटा केॅ हुनी बोलैलकै सभ दौड़लै लैकेॅ उन्मादसब के काम लगैलकै चौधरीं-होलै बस्ती लुक्कड़हीनसभ्भैं चैन के साँस खीचलकै, बाजॅे लागलै सगरो बीनएक गेला पर दोसरोॅ गेलै सौंरहै परिवारोॅ के साथताला सगरोॅ लटके लागलै होलै बस्ती फेनू अनाथ लोग परैला सें गामोॅ केॅहोलै फिन हालत पस्ती तीन सोॅ घर में दू सोॅ छेलै रहवैय्या जे वरम्हन केसोॅ ठो बाभन फिन नैं पुरै नैतवा गछला जिमावन केपांच मोॅन चौॅरोॅ में पूरै भोज-भात जोनी जग्गोॅ केलेकिन छवे पसेरीॅ भेलै छक्कमछक जग भग्गो केभग्गो बोललै कहाँ खबैय्या, रहलै आबेॅ गामोॅ मेंअधमन्नी आटा के पूड़ी चलै छै दोनों सामोॅ मेंजमना चौधरी के मरथैं फिन बस्ती भेलै डावाँडोलमंगरू बोललै दिन्हैं दुपरिहा दारू-ताड़ी वीकै छै मोलसूअर-मुर्गा रोज कटै छै बाबा जी के घरबा मेंपढुवा-लिखुवा रोज नुकावै नङटा सभ के डरवा सेंदंगा के पैन्हें आरो बादोॅ, हालत जे छेलै गामोॅ केॅओकर्हौ सें बदतर भै गेलै तखनी हालत आमोॅ के मंगरू के बतबा ठो वुझथैगरभू केॅ लागलै सुस्ती राज कोन आवी गेलै कि जात-पात झलकेॅ लागलैसगरो मार-मरौव्वल होय छै बेरादरी चटकेॅ लागलैएक जात सें दोसरोॅ जाती बनी कड़कै गेलै बड़का खाईपैन्हें जेकरा दोस्त बताबै, दुश्मन बनलै हौ भाईछोटका केॅ बड़का के नैं छैकटियो टा सुध लाज-धरमघर्हौनीति के बतबा सब भुललै सभ्भैं छोड़लकै आपनोॅ करमतखनी छेल्हौं आदर जे टा एखनी ओकरा दहू भूलायपंडी जी केॅ टीक कहाँ छै? पुरहित जी लग कोय नैं जायपता नहीं के केकरा लुटतैं केकरोॅ इज्जत कोॅन ठियाँ?के केकरा सें गारी सुनतै जान नुकैतै कोॅनी कियाँ?थाना दूर, पुलिस के नखड़ा के केकरा पे केश करेॅ?केकरोॅ जान भेलोॅ छै भारी गाँव सुधारक भेष धरेॅ केखरौ कोय नैं गरज छै भैय्याकौने गछतै परबस्ती? की करभौ! मांटी पकड़ी के? बचवा के नैं ठिकानोॅ छौंघोॅर बन्हैलेॅ ठिक्के करल्हेॅ मलकाठोॅ में जानोॅ छौंपठभा दै केॅ दुरगा माय केॅ सोच्हौं केना केॅ जीभौॅ तों?छोड़वा सब के आगू सोच्हौ कैसें केना केॅ रहभौॅ तों?हूरो जादव जब तक बचलै कक्का दादा सब चललैमतर आय कमली के मन में बड़का के आदर घटलैबाबा जी के नेम अजूबे, टोले-दुआरी टोली झगड़ा छैपचखुट्टी-सतभैय्या दुश्मन तिनखुट्टी सें रगड़ा छैचौधरी टोलोॅ अलग थलग छै, ओझा-मिसरें नैं पटरीदू घोॅर पाठक कौनें पूछेॅ सभ के अलग पकेॅ खिचड़ीआबेॅ कत्तॅे कहभौं भैय्या गुवर-टोली के फैसन जव्वड़कदर टोल के बात अलग छै, कहर टोली छै लाल बुझक्कड़ सभ्भै जातीं आपन्है-आपनीदेथौं टोला के गस्ती गंजेड़ी के जात अलग छै चाहें बरम्हन चाहे गोपया कहार फिन कोयरी कुर्मी सभ्भे बनथौं पोपे-पोपकहाँ से कन्नेॅ माल ससरतै गंजेड़ी केॅ येहे छै कामचिलम चढ़ावै खातिर कुछ तेॅ फरफन्दी के चहियोॅ दाम?दू पैसा जेॅ लै केॅ अैल्हेॅ पिन्ड छोड़ना मुश्किल छौंकखनी पकड़ैभौ लङटा से जान छोड़ाना मुश्किल छौंटैक्स लगैथौं लम्पटवां सब, बिन देने छौं त्राण कहाँ?चाहे फगुआ या कि दशहरा, बिन देने कल्याण कहाँ?चंदा के पैसवा सें कीनैतै सब टा मस्ती के आलमभांग-धतूरा-गांजा-दारू ताड़ी-गुटका आरो चिलमगाँव में गर जों रहना छौं ते नङटा केॅ खुश करहै ले पड़थौंबोकरो के कुछ कमैय्या-यै पंथोॅ में भरै लेॅ पड़थौं मंगरू के बतवा, नें करलकैगरभू केरोॅ अधोॅ गति बतवा आभी चलथैं छेलै अैलै लागले बड़का जेरोॅपान सोॅ एक चढ़ौवा खातिर पुर्जी देलकै चन्दा केरोॅआना-कानी करहैं नैं पारै नामी-नामी लम्पट छेलैबोलै के जग्घेॅ नैं बचलै गरभू केॅ हौ दिहै लेॅ पड़लैदू टोली के बीच्हैं छेलै काली माय के साविक धामओकर्है लग सटले बनवैलकै वस्ती लोगें दुरगा थानदशगरदा बग्घोॅ रहला सें इफरादी जग्घोॅ मिललैदुरगा माय के मन्दिर उन ठाँ चमकी केॅ खुव्वेॅ खिललैपैल्होॅ पूजा शैलपुत्री केॅ, ब्रह्मचारिणी दोसरोॅ दिनचन्द्रघन्टा औ कुष्मांडा के, तेसरोॅ आरो चौठो दिनमाय एकन्दा आबी गेली, पाँचभोॅ दिन पूजा करवायकात्यायणी के पूजा भेलै, छोॅ पूजा फिन गेलै ओराय सगरोॅ सजलै दोकनदारीफैललै फिन आलम मस्ती कालरात्रि के पूजा खातिर, गामोॅ के लोगवा जबेॅ हड़कै जुटलैशंख नगाड़ा घड़ी-घंट, तुतरू ढोलक डमरू बजलैमैय्या के आवाहान होलै, सतमी के पूजा चललैचन्डी पाठ के पोथी लै ले-पंडित-फूल थरिया जुटवैमहागौरी केॅ पूजै खातिर, अठमी रोजोॅ के भेलै विहानपूजा-पाठ के मन्तर सें फिन गन-गन भेलै दुरगा थानसभै छवारिकें मिली-जुली केॅ नाटक के जोगाड़ बनैलकैओकरोॅ खातिर अलघहैं चन्छा, गरभू के पूरजी धरवैलकैदिनभर मेला जमथैं गेलै, प्रतिमा के दरशन के खातिरकीन-बेच सब होयै रहलै, दुरगा माय चढ़ौवा खातिरदश बस्ती के लोगवा अैलै, मन्तर के उच्चारण सुनथैंभीड़-भाड़ साम्हैं तक चललै, माता के दरशन के पन्थेंमैॅ को पर कीरतन के टोलीं, दूर दूर तक शोर मचावैकखनू-कखनू अच्छर कुटवाँ, प्रवचन दै-दै गाँव बजावैगाजा-भांग के मस्ती लै लै, उछल-कूद सब चलथैं रहलैलोक गीत, संस्कार, कथा गीत, भक्ति गीत सब गैलेॅ गैलेनाटक-ऊटक सब कुछ भेलै, ऋतु गीत के पाठ करलकैलोरकाही गावी केॅ गोपें आपनोॅ-आपनोॅ हुनर देखैलकैजोॅर जनानी फेनू जुटली, मैय्या के गीतोॅ के गैलकीनिशां बली तक गावी-गावी आरती दै दै सुखोॅ पैलकीसिद्धि दातृ नौमी दिन अैलौ, गरभूं कन फिन पाठा पड़लैदुरगा भान गछलक पाठा वलि माय के वेदी पड़लै देखथैं-देखथैं नवदुर्गा केखेल खतम होलै फुरती नौमी जैथैं दशमी अैलै गल्लां-गल्लां लोगवा मिललैनीलकंठ केॅ देखै खातिर डाल-पात पे खोजेॅ लागलैवेदी के पठवा के शीरा सांझैं फिन नीलामी भेलैडाक बोली केॅ कत्तें लेलकै नैं वै में हैरानी भेलैपैल्हकोॅ लोगोॅ केॅ सरधा छलै दुरगा माय केॅ पूजै मेंखाली आबेॅ अटम्मरी रहलै देख हिसखी जै जै मेंकीर्तन कम हरिवोल छै जादा, लोक देखावन खिस्सा छैकवि माय के हुलिहै नाम के जमा राशि में, खोजै आपनोॅ हिस्सा छैपैन्हें गरभू देखने छेलै कारतिक दादा छेलै पुजारीरोहिन ठाकुरें पकड़ धुपौड़ी जीहा निकालै घूरी-घूरीसभ्भै बोलै काली माय के भाव पहुंचलै रोहिन पर थर-थर काँपै जीभ निकालै वर्हम थान के केविन परकार्तिक दादा केॅ मरला पर, दशमी चौधरी भेलै पुजारीकाली माय के भाव भंगिमा, अच्छों पैलकै विरसत भारीबाप्है पूत परापत घोड़ा, नहीं बहुत तेॅ थोड़म-थोड़ादशमी भी एक रोज गुजरलै-टूटी गेलै अच्छो के धुपौड़ानया-नया विधकरिया देखी, गरभूं ओकरा चिन्हैं नैं पॉरैमंगरू सें हर बतबा पूछी, ओझरैलोॅ माथा केॅ सम्हारैबस्ती के पौनियाँ सेनी केॅ मंगरू फेनू चिन्हावेॅ लागलैलौआ, पंडित, पुरहैत सबके, नाम तुरन्त गिनावेॅ लागलैनोॅ दिन के नवरात्री बितलै, दसमी के भेलै निस्तारभेलै भसौॅ न गेली दुरगा जी दुरगा पूजा होलै पार गरभू देखलक गाँव घरोॅ केॅलोगोॅ में अैलै सुस्ती पूजा बीतला पर गरभूं ने, चारो ओर हियावेॅ लागलैसैंतीस बरस पहिलकोॅ बाला-एक्को चीज नैं पावेॅ लागलैकहाँ गेलै हौ मैदनियाँ ठो जेकरा पेॅ फुटवौल खेलावैकहाँ गेलै हौ बाग बगिच्चा, जै में दोल दलिच्चा भावैनदिया कांती गाय मिलावै, हौ ठो जग्घोॅ देखै नैं पारैपोखरी तर रोॅ बरगद गछियाँ, ठुट्ठोॅ होलोॅ धरा निहारैइस्कूली के पिछुहाड़ी में फूलोॅ के जे छेलै गड़ारीओकरा सें हटला पर आगू, जे ठोॅ छेलै मैदनियाँ भारीजेकरा में बपचन में गरभूं कत्तेॅ रङ के खेल खेललकैदक्षोॅ आरम्भोॅ के दीक्षा, वही ठियाँ स शुरू करलकैआमी के गछिया दानी के, जेकरा पर वें ढ़ेपोॅ फेकैटीकोला केॅ खूव झड़ावै-कुच्चा-घुमनी खुब्बे खाबैजामुन-बड़हर-बैर-साफड़ी-ताड़ खजूर ठो कहाँ नुकैलैआता-पोपीता-केला-खटमिठिया उस्तू कहाँ पेॅ गेलै सभ्भेॅ जग्घोॅ के की भेलैकी भेलै बगियन के गति मंगरू बोललै सन पचपन में जमीन्दार जबेॅ लोग सिनी घड़कै भागेॅ लागलैसभ टा चीज भसैन्है गेलै बन्दोवस्ती लागेॅ लागलैगामोॅ के जे पढुवा छलै, कटियो टा नैं भेलै शरमकौड़ी भाव में सभ्भैं कीनलकै, जेव करलकै खूवे गरमकोय खुद्दे कीनबैय्या बनलै, कोय दलाली करम करैनीपा-पोती गाँव करी केॅ जमीन्दार के बरण करैमदरारी के छेदीं लेलकै, मैदनियाँ फुटवौलोॅ बालागाम्हैं के मुंशी जीं कीनलकै, बाग बगिच्चा आमोॅ वालाकटी गेलै हौ जामुन-बड़हर, खड़ी गबेलै गोचर-मैदानचप्पा चुप्पीं सब जग्घा में उपजेॅ लागलै सगरो धाननैं सोचलकै केना केॅ खेलतै बच्चा-बुतरूं गामोॅ केनैं सोचलकै कहाँ पे चरतै गैय्या-गोरू गामोॅ केॅस्वारथ के पल्लां में पड़लै गामोॅ के पढुवा लिखुवाभेलै नतीजा सभे खिसकलै गाँव छोड़ी के हर सिखुआनैं छैकन्हौं गुल्ली-डंटा, नहीं कबड्डी कन्हौं पैभौतभै पता लागै बीच सड़क पर छौड़ा सभ केॅ किरकिट-बैट पकड़ने देखभौबीत्ती-रिङगोॅ उठिये गेलै आबी गेलै बैडमीन्टनगोल-चुक्की के जग्घोॅ लेलकै टेबुल टेनिस के फैसन गरभूं सभ्भें देखी सुनी केॅभीतरे-भीतर भेलै ‘पस्ती’ मंगरूं समझैलकै गरभू केॅ कथी लेॅ होय छौ तों हैरानतोरोॅ दरद बुझै छी हम्में, गमी केॅ तोरोॅ सौसें मुठानबोललै, है सभ होथैं छै-से जाबेॅ दहू की करभौ?पूजा के पैन्हें जे कलिहौं-वै पर ध्यान तों नैं धरभौतखनी हम्में कहने रहियौं गाँव के हालत तोहरा सेंआबेॅ है तेॅ होथै रहतै, लोग कैन्हें भड़कैं लम्पटबा के कोहरा सेंनिम्मर रहला से आबेॅ गामोॅ में बहुत बखेड़ा छैडेग-डेग अपमानित होय केॅ रहना गरक में बेड़ा छैकैन्हें कि तोहरा सें हमरोॅ बड़का जाल बनी जैतैबस्ती के लम्पटवा सेनी की मजाल?खोखेॅ पारतैहुमची देवै दोन्हूं मिली केॅ जों लम्पटवा कुछवोॅ बकतैयही गाँव में जीना-मरना, बरियोॅ बनीं केॅ रहै लेॅ पड़तै। गरभू के मथवा में धँसलैमंगरू के बतिया सुमतिसैंतीस साल नौकरिया पूरनेगरभू घुरलोॅ आपनोॅ बस्ती।
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