भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुक्तक-01 / रंजना वर्मा

26 bytes removed, 10:53, 14 जून 2018
सख़्तियों को ही जो सोपान बना लेते हैं।।
काश्मीर करवा रहा, यों अपनी पहचान
करते पत्थरबाज नित, सैनिक का अपमान।
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,574
edits