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03:49, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
|अनुवादक=
|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
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<poem>
वफ़ा के बदले जफ़ा मिलेगी
क़दम क़दम पर दग़ा मिलेगी
गवाह तेरा नहीं है कोई
तुझे यक़ीनन सज़ा मिलेगी
कभी बुजुर्गों के पास बैठो
तुम्हें मुसलसल दुआ मिलेगी
जो राह ख़ुद ही बनाओगे तुम
वो राह मंज़िल से जा मिलेगी
कुछ और बेशक मिले न तुमको
ग़रीब के घर हया मिलेगी
</poem>